बंदर प्राकृतिक रूप से दक्षिणी गोलार्ध के घने जंगलों में पाए जाते हैं। बंदरों को दो तरह से बांटा जा सकता है- पहला पुराने युग के बंदर (एशिया और अफ्रीका) और दूसरा नए युग के बंदर (दक्षिण अमेरिका) । पूरे विश्व में बंदरों की 260 जातियां ज्ञात है। पुराने और नए युग के बंदरों में बहुत से असमानताएं हैं, फिर भी कुछ ऐसे फीचर्स हैं जो दोनो युग के बंदरों में पाए जाते हैं। बंदरों को मनुष्य के पूर्वज माना जाता है। मनुष्य और बंदरों का डीएनए लगभग 96 से 98% मिलता-जुलता है। प्राचीन युग और नए युग के बंदरों के दातों की संख्या में बहुत बड़ा अंतर पाया जाता है, जैसे- प्राचीन युग के बंदरों के मुंह में 36 जबकि नए युग के बंदरों के मुंह में 32 दांत पाए जाते हैं। मंदिरों के आहार में अखरोट फल और कीड़े सामिल है। बंदर नकल उतारने की कला में बहुत माहिर होते हैं, इसलिए बंदरों को आसानी से प्रशिक्षित किया जा सकता है।
बंदरों से जुड़ी कुछ खास बातें - बंदरों का वैज्ञानिक नाम Macaca Fascicularis है। बंदरों को स्तनधारी वर्ग के संघ कार्डेटा में बांटा गया है।बंदर सर्वभक्षी होते हैं। इन का आकार लगभग 14 सेंटीमीटर से लेकर सौ सेंटीमीटर के बीच होता है। बंदरों का वजन सामान्य तौर पर 0.1 किलोग्राम से लेकर 30 किलोग्राम तक माना गया है। बंदर की अधिकतम गति 56 किलोमीटर प्रति घंटा नोट किया गया है।इनका जीवन का लगभग 10 से 30 साल आंका गया है। बंदरों के झुंड को troop कहा जाता है। बंदरों की जाति में चिंपैंजी सबसे बुद्धिमान बंदर है।
बंदरों से जुड़ी कुछ खास बातें - बंदरों का वैज्ञानिक नाम Macaca Fascicularis है। बंदरों को स्तनधारी वर्ग के संघ कार्डेटा में बांटा गया है।बंदर सर्वभक्षी होते हैं। इन का आकार लगभग 14 सेंटीमीटर से लेकर सौ सेंटीमीटर के बीच होता है। बंदरों का वजन सामान्य तौर पर 0.1 किलोग्राम से लेकर 30 किलोग्राम तक माना गया है। बंदर की अधिकतम गति 56 किलोमीटर प्रति घंटा नोट किया गया है।इनका जीवन का लगभग 10 से 30 साल आंका गया है। बंदरों के झुंड को troop कहा जाता है। बंदरों की जाति में चिंपैंजी सबसे बुद्धिमान बंदर है।
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